रिलाइंस ग्रुप के मालिक धीरूभाई अंबानी की मृत्यु के बाद दोनों भाई मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी में अनबन होने लगी.
जिसके बाद 2005 में अनिल अंबानी के माँ कोकिलाबेन ने कंपनी बाँटने का फ़ैसला किया जिसमें अनिल अंबानी और मुकेश अंबानी को
रिलाइंस ग्रुप का आधा-आधा हिस्सा मिला, जिसमें अनिल अंबानी को वो कंपनियां मिली जो मुनाफ़े में थी, और फ्यूचर में ग्रो होने वाली थी.
इन सभी के साथ मुकेश अंबानी को 10 साल के लिए टेलिकॉम सेक्टर में क़दम न रखने की शर्त थी, इसलिए मुकेश अंबानी ने 10 साल बाद जियो को लांच किया.
फ्यूचर में ग्रो करने वाली सारी कंपनियां अनिल अंबानी के पास थी, पर उनकी ग़लत आदतों ने उन्हें कंगाल बना दिया.
अनिल अंबानी की सोच दूरदर्शी न होनें के कारण उन्होंने जिस भी बिज़नेस में क़दम रखा सभी में फ़ैल होते गए और
और धीरे-धीरे इनकी कंपनियां कर्ज के बोझ तले दबती चली गयी, और सबसे ज्यादा इनको झटका तब लगा जब टेलिकॉम इंडस्ट्री में मुकेश
अंबानी ने जियो लांच किया, उस समय इनको बहुत ज्यादा घाटा हुआ, अनिल अंबानी आने वाले समय की टेक्नोलॉजी पर काम
नहीं किया, उन्हें लगा बिज़नेस ऐसे ही ग्रो करता रहेगा, सितंबर 2021 के अनुसार अनिल के ऊपर लगभग 40 हजार करोड़ रूपए का कर्ज है.