Smart Contract क्या है और यह कैसे काम करता है, Smart Contract के फ़ायदे और नुकसान क्या है. अब तक हमनें ज्यादातर नॉर्मल कॉन्ट्रैक्ट ही देखा है जहाँ पर बेचनें वालों या खरीदने वालों के बीच एक Contract साईन होता है जो की पेपर पर होता है पर Smart Contract पर ऐसा नहीं होता तो चलिए समझते है की Smart Contract क्या है.
Smart Contract क्या है? What Is Smart Contract In Hindi
Smart Contract भी एक Normal Contract की तरह होता है बस फ़र्क इतना सा होता है की Normal Contract पेपर के फॉर्म में होता है जबकि Smart Contract एक कंप्यूटर प्रोग्राम है.
Smart Contract का Concept Nick Szabo ने 1994 में दिया था जब बिटकॉइन का कोई नामों निशान तक नहीं था. उसके बाद 2013 में एक 19 साल का लड़का जिसका नाम Vitalik Buterin था उसने Smart Contract और Blockchain को एक साथ जोड़ा.
Smart contract जब Blockchain के साथ जुड़ा तो यह एक बेहतरीन कॉम्बिनेशन बना और Smart Contract की उपयोगिता और विशेषता और ज्यादा बढ़ गयी. तो चलिए और ढ़ंग से समझते है की Smart Contract क्या है तो जैसा की हमने कहा की Smart Contract एक कंप्यूटर प्रोग्राम है जिसमें Contract की सारी रूल्स और टर्म्स को कंप्यूटर प्रोग्राम के फॉर्म में Blockchain में स्टोर किया जाता है.
जिसमें कुछ ही ब्लॉकचैन्स है जो Smart Contract को Support करते है जैसे की इथेरियम ब्लॉकचैन एक स्पेसियन प्रोग्रामिंग लैंगवेज जिसको Solidity कहते है. Solidity का Use करके हम इथेरियम ब्लॉकचैन में Smart Contract Developed कर सकते है. Solidity Programming Language में Syntax यूज होते है वही Syntax, Javascript में भी यूज होते है. यदि आपको Javascript आती है तो आप आसानी से ब्लॉकचैन में Smart Contract Develop कर सकते है.
Smart contract कैसे काम करता है? How Smart Contract Work
Smart contract कैसे काम करता है अगर देखा जाए, तो जैसे ही हम Smart Contract को ब्लॉकचैन से जोड़ते है तो जो Smart Contract पहले Centralized हुआ करता था और एक जगह पर स्टोर हुआ करता था, वो अभी एक जगह पर स्टोर नहीं होगा उसका कोई Central Authority नहीं होगा और वह पूरी तरह Decentralized हो जायेगा.
कोई भी दो अनजान जो एक दूसरे पर भरोसा न करते हो और एक दूसरे को न जानते हो वो भी Smart Contract की मदद से एक दूसरे से बिज़नेस कर सकते है.
जिस तरह से Normal Contract और Agreements होते है उसी तरह से यह Smart Contract भी होते है पर जो सामान्य कॉन्ट्रैक्ट होते है उनमे हमे थर्ड पार्टी की मदद लेनी होती है जैसे आपको अपना घर किसी को बेचना है, तो आपको उसके लिए प्रॉपर्टी डीलर की जरुरत पड़ेगी डॉक्यूमेंट तैयार करने के लिए वकील की जरुरत पड़ेगी जिसमे आपका काफ़ी समय और पैसा बर्बाद होता है.
नॉर्मल कॉन्ट्रैक्ट में गतिबिधियाँ होने में समय लगता है और डीलर द्वारा फ्रॉड हो सकता या फ्रॉड होने की आशंका बनी रहती है पर Smart Contract ब्लॉकचैन में होने की वजह से सभी गतिविधियाँ बहुत ही तेज होती है और कोई भी फ्रॉड या धोखाधडी करना लगभग नामुमकिन हो जाता है.
क्योंकि जैसे ही Contract साइन होता है तो तुरंत ही वह ब्लॉकचैन के सभी लेज़र में जाकर वह Save हो जाता है, लेज़र में Save होने की वजह से इसे बदला नहीं जा सकता है. क्योंकि एक लेज़र में बदलाव या हैक करने में पसीने छूट जाते है तो यहाँ पर तो दर्जनों लेजर्स होते है इसलिए ब्लॉकचैन से जुड़ने के बाद Smart Contract सेफ हो जाता है.
स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट का मुख्य उदेश्य थर्ड पार्टी को बीच से हटाना है, एक बार स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट बनाने के बाद इसको चलाने के लिए किसी की भी जरुरत नहीं होती, नियम और शर्तों के हिसाब से जो कोड बनाया होगा उसी के हिसाब से Smart Contract चलता रहता है.
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Smart Contract कैसे बनायें। How To Make Smart Contract
दोस्तों अब तक हमनें जाना की Smart Contract क्या है और Smart Contract कैसे काम करता है आइये अब हम जानते है की Smart Contract कैसे बनायें तो जैसा की हम ऊपर बताया की Smart Contract को बनाने का सबसे पॉपुलर प्लेटफ़ॉर्म इथेरियम है.
क्योंकि इसकी खुद की प्रोग्रामिंग लैंगवेज Solidity है जिसमें अभी तक काफ़ी Smart Contract बनाये जा चुके है ऐसे में इथेरियम में Smart Contract बनाना विल्कुल आसान है जिसकी वजह से ज्यादातर Smart Contract इथेरियम से ही बनाये जाते है. इथेरियम के अलावा भी Hyperledger Fabric Nem, Stellar, और Cardano जैसे नेटवर्क है जहाँ पर हम Smart Contract को बना सकते है.
Smart Contract के फ़ायदे और नुकसान
Smart Contract के फ़ायदे (Advantage of Smart Contract)
- Smart Contract का सबसे बड़ा फ़ायदा तो यही है की इसमें किसी भी थर्ड पार्टी की जरुरत नहीं पड़ती जिसमें हम सभी काफ़ी समय और पैसा खर्च होने से बच जाता है.
- Smart Contract को Blockchain Technology में Feed करने की वजह से इसे हैक करना या इसमें फ्रॉड या उसमें बदलाव कर पाना लगभग नामुमकिन हो जाता है जबकि नॉर्मल कॉन्ट्रैक्ट में बदलाव और फ्रॉड करना आसान है.
- Smart Contract में जब कोई भी इनफार्मेशन, एग्रीमेंट्स, नियम या शर्ते एक बार दर्ज हो जाती है तो यह अपने आप Work करने लगता फिर इसे किसी की भी जरुरत नहीं पड़ती.
- Simple Contract में Contract की प्रक्रिया में बहुत समय लगता है लेकिन स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट में कंप्यूटर प्रोग्रामिंग की वजह से बहुत सारा समय बच जाता है.
Smart Contract के नुकसान (Disadvantage of Smart Contract)
- Smart contract में सबसे बड़ा तो नुकसान यही हो सकता है की अगर contract साइन करते समय कोई गलती हो जाती है तो उसे सुधारा नहीं जा सकता.
- स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट में लेन-देन के वक्त अगर कुछ भी गड़बड़ होती है तो उसमें आपकी कोई भी मदद नहीं कर पायेगा यहाँ तक की सरकार भी नहीं क्योंकि इसमें किसी ब्रोकर या डीलर या सरकार का हस्तक्षेप नहीं होता.
- इसका एक और नुकसान ये है की अगर कॉन्ट्रैक्ट को ठीक तरीके से नहीं बनाया जाता है और उसमे कोई कमी छोड़ दी जाती तो इससे हैकर आसानी से स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट को हैक कर सकता है और सारा डाटा और पैसा चुरा सकता है.
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